उत्तराखंड

बुद्ध पूर्णिमा पर की अशोक शिलालेख की परिक्रमा

विकासनगर। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बौद्ध उत्सव मेला समिति ने अशोक शिलालेख की परिक्रमा कर सम्राट अशोक के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। समाज के पदाधिकारियों के गाए श्बुद्धं शरणम गच्छामिश् की मधुर ध्वनि से वातावरण गूंजायमान रहा।
कालसी स्थित सम्राट अशोक के शिलालेख पर सोमवार को श्बुद्धं शरणम गच्छामि, संघं शरणम गच्छामिश् की मधुर ध्वनि गूंजती रही। मौका था बुद्ध पूर्णिमा पर बौद्ध उत्सव मेला समिति की ओर से आयोजित समारोह का, जिसमें उप्र, हरियाणा, हिमाचल सहित अन्य कई राज्यों के लोगों ने भाग लिया। सैनी समाज के सदस्यों ने यमुना में स्नान के बाद शिलालेख की परिक्रमा की। मेले की अध्यक्षता कर रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री राम सिंह सैनी ने कहा कि सम्राट अशोक का नाम भारतीय इतिहास में युग प्रर्वतक और शांतिदूत के रूप में लिया जाता है। विरेंद्र सैनी ने कहा कि कलिंग युद्ध की विभीषिका के बाद सम्राट अशोक ने जीवन में युद्ध न करने की शपथ लेकर शांति स्थापना के लिए अन्य देशों में भी अभियान चलाया। मेले के समापन पर भंडारे का आयोजन किया गया। इस दौरान जेएस कुशवाहाल, रविंद्र सैनी, विकास सैनी, यशपाल सैनी, गिरीश कुमार, विजय कुमार, रेखा सैनी, आदेश सैनी, डा. हंसराज सैनी, हिमांशु, केके मौर्य आदि मौजूद रहे।

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