उत्तराखंड

रुद्रप्रयाग जवाड़ी बाईपास को खुलने में लगेगा एक सप्ताह का समय

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ हाईवे को जोड़ने वाले रुद्रप्रयाग जवाड़ी बाईपास पर पहाड़ी का बहुत बड़ा हिस्सा ढहने से राजमार्ग पूरी तरीके से बंद हो गया है। साथ ही हाईवे के लगभग 100 मीटर हिस्से का मलबे के बीच कुछ पता नहीं चल पा रहा है। हाईवे पर मलबा इतना अधिक गिरा हुआ है कि हाईवे को खुलने में एक सप्ताह का समय लग सकता है। वहीं हाईवे पर पहाड़ी टूटने से वन सम्पदा को भारी नुकसान पहुंचा है, जबकि आस-पास के क्षेत्र में भी दहशत का माहौल बन गया है।
बता दें कि बीते पांच अगस्त को उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा के बाद से पूरे गढ़वाल क्षेत्र में डर का माहौल बन गया है। धराली की घटना ने एक बार फिर से वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा की याद को ताजा कर दिया है, जिससे लोगों में हर समय घबराहट सी दिखाई दे रही है। बीते शनिवार की सांय को केदारनाथ हाईवे को जोड़ने वाले रुद्रप्रयाग जवाड़ी बाईपास में पहाड़ी का एक बहुत बड़ा हिस्सा ढहकर राजमार्ग पर आ गिरा, जिस कारण राजमार्ग का 100 मीटर मलबे और बोल्डर से पट गया है और राजमार्ग बंद हो गया है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से लोगों को सीधे धराली की याद आ गई। पहाड़ी टूटने से कई टन मलबा और बोल्डर राजमार्ग पर आया है, जिससे राजमार्ग को भारी नुकसान पहुंचने के साथ ही वन सम्पदा भी भारी मात्रा में नष्ट हो गई है।
जवाड़ी बाईपास पर पहाड़ी से भारी भूस्खलन होने से हज़ारों टन मलबा हाईवे पर गिरा हुआ है, जिसे साफ करने में एक सप्ताह का समय लग सकता है। दोनों छोरो से हाईवे से मलबा साफ करने का कार्य शुरू हो गया है। फिलहाल ट्रेफिक का संचालन रुद्रप्रयाग मुख्य बाज़ार से हो रहा है। हाईवे का 100 मीटर से अधिक हिसा पूरी तरह मलबे में दबा हुआ है, जिस तरह से भूस्खलन हुआ है, उससे यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि हाईवे को भारी नुकसान पहुंचा है।
पुलिस उपाधीक्षक प्रबोध घिल्डियाल ने कहा कि केदारनाथ धाम की ओर जाने वाले जवाड़ी बाईपास मार्ग पर पहाड़ी दरकने से मार्ग पूर्ण रूप से यातायात को लेकर अवरुद्ध है। मार्ग खोलने के लिए दोनों छोर से जेसीबी लगी है। यहां पर मार्ग यातायात के लिए सुचारु होने तक तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ व केदारघाटी के लिए वाहनों का आवागमन कस्बा रुद्रप्रयाग से बेलनी पुल होते हुए संचालित कराया जा रहा है। बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए खुले हुए हैं। उन्होंने बताया कि मलबे और बोल्डर को साफ करने के लिए मशीने जुटी हुई हैं। तेजी के साथ कार्य किया जा रहा है। एनएच विभाग को जल्द से जल्द राजमार्ग खोलने के निर्देश दिए गए हैं।

मंदाकिनी-अलकनंदा नदियों में फंेका जा रहा मलबा: देवराघवेन्द्र,
रुद्रप्रयाग। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के चलते जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, वहीं प्रकृति को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। राजमार्गों पर पहाड़ी दरकने से भारी मात्रा में मलबा गिर रहा है, जो विभाग की मशीने उठाकर सीधे मंदाकिनी-अलकनंदा नदियों में फंेका जा रहा है, जिससे जलीय जीव जन्तुओं को भी हानि पहुंच रही है। इसके अलावा ग्रामीण लिंक मार्गों का मलबा भी गाड़-गदेरों में फंेका जा रहा है, जो भविष्य के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र बद्री ने कहा कि अंधाधुंध निर्माण कार्यों के चलते आज प्रकृति ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है, बावजूद इसके मानव चेतने को तैयार नहीं है। बद्रीनाथ और केदारनाथ राजमार्ग के जगह-जगह पहाड़ी दरक रही हैं और ये मलबा सीधे नदियों में फेंका जा रहा है। ऐसे में जहां पर्यावरण को बहुत बड़ा नुकसान पहुंच रहा है, वहीं नदी में पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर पहाड़ी क्षेत्रों का विनाश किया जा रहा है। सुनियोजित तरीके से विकास कार्य नहीं किए जा रहे हैं, जिससे आपदाएं आ रही हैं और पहाड़ी खिसक रही हैं। इन घटनाओं से बेकसूर लोग आकस्मिक मौत का शिकार हो रहे हैं।

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