भगवान अगस्त्य को सेवाभेंट लगाने पहुंची मां इन्द्रासणी
रुद्रप्रयाग। सिलगढ़ पट्टी के कंडाली गांव की आराध्य देवी मां इंद्रासणी की देवरा यात्रा चाका गांव में भ्रमण के पश्चात भगवान अगस्त्यमुनि महाराज मंदिर पहुंची। मां की डोली के अगस्त्यमुनि मंदिर पहुंचने पर मठाधीश योगेश बेंजवाल ने वस्त्र भेंट कर स्वागत किया। इससे पूर्व मां की डोली और नेजा निशानों ने मंदिर की परिक्रमा कर भगवान अगस्त्य को सेवाभेंट लगाई। 12 वर्ष बाद हो रही यह भेंट देखकर भक्तों के हृदय द्रवित हो गए। बार-बार मुड़कर देवी भगवान अगस्त्य के गर्भ गृह की ओर झुकती रही। पौराणिक मान्यता के अनुसार देवासुर संग्राम के दौरान भगवती इन्द्रासणी का प्राकट्य हुआ था।
बता दें कि मां इन्द्रासणी को भगवान अगस्त्य की नवशक्तियों में से एक माना जाता है। इन्द्रासन पर विराजित होने के कारण भगवती का इन्द्रासणी नाम प्रसिद्ध हुआ। पुजारी ने मां इन्द्रासणी की भोगमूर्तियों की विशेष पूजा अर्चना कर भोग लगाया। जिसके बाद मां की देवरा यात्रा नाकोट गांव और बसंत विहार में घर-घर जाकर अपने भक्तों की कुशलक्षेम पूछी। वहीं भक्तों ने पुष्प एवं अक्षतों से मां का स्वागत किया। साथ ही लाल चुनरी, धूप पिठाई के साथ ही फलों का अर्घ भी लगाया। इस दौरान डोली ने अगस्त्य मैदान में जाकर नृत्य कर भक्तों को अपना आशीर्वाद भी दिया। रात्रि प्रवास के लिए यात्रा रामपुर गांव पहुंची। मंगलवार को देवी तिलवाड़ा में मन्दाकिनी नदी में माघ स्नान किया। संयोजक मंडल के सदस्य ओपी बहुगुणा ने बताया कि दो माह तक चलने वाली देवरा यात्रा के दौरान मां की डोली सिलगढ़, बड़मा, भरदार, लस्या, नागपुर के तकरीबन सौ गांवों का भ्रमण कर भक्तों की कुशलक्षेम पूछेगी। इस अवसर पर मठापति सुरेंद्र चमोली ने बताया कि देवरा यात्रा भक्त और भगवान का मिलन है। यह यात्रा तप यात्रा है। बीते 26 नवम्बर से सिलगढ़ क्षेत्र के कंडाली की मां इंद्रासणी की विशेष पूजा अर्चना एवं श्रृंगार के साथ देवरा यात्रा का शुभारंभ हुआ था। यात्रा समाप्ति के बाद 30 जनवरी से मंदिर में नौ दिवसीय महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। मंदिर समिति के अध्यक्ष जगत सिंह बुटोला, सचिव राम चन्द्र राणा, बलवीर सिंह, संयोजक मंडल के सदस्य ओपी बहुगुणा, नरेश भटट, शंकर भट्ट, शिव प्रसाद, वीरबल सिंह, उदय प्रताप सिंह बर्त्वाल, अखिलेश गोस्वामी, लोकगायक धर्मदास समेत कई बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे।