जौनपुर में धूमधाम से मनाया जा रहा मरोज

टिहरी। जौनपुर क्षेत्र अपनी अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है। इन दिनों जौनपुर क्षेत्र में माघ पर्व का जश्न शुरू हो गया है। जिसमें प्रत्येक गांव के सभी परिवार माघ मरोज के लिए करीब 2 से 3 वर्षों तक बकरों को पालते हैं। जनवरी माह में सभी सगे-सम्बंधियों को दावत दी जाती है। जो लोग घरों में बकरा नहीं पाल पाते हैं। वह 25 से 30 हजार की उंची कीमत पर बाजारों से बकरा खरीदते हैं। पर्व की परंपरा है कि विवाहिता बेटियों तथा नाते-रिश्तेदारों को इस पर्व पर विशेष निमंत्रण दिया जाता है। जो बेटियां नहीं आ पाती, उनका हिस्सा सुरक्षित रखा जाता है। जिसे बाद में उनके घर भिजवा दिया जाता है। जिसे बांटा कहा जाता है। पूरे जौनसार-बावर-चकराता-कालसी-रवांई क्षेत्र में मरोज का पर्व मनाया जा रहा है।
उत्तरकाशी के क्षेत्र के साथ-साथ टिहरी के जौनपुर क्षेत्र में यह पर्व एक माह तक चलता है। पर्व के दौरान पूरे महीने गांव का पंचायती आंगन जौनपुर लोक संस्कृति से रंग जाता है। रात को प्रत्येक गांव के लोग बारी-बारी से प्रत्येक परिवार के घर पर जाकर जश्न मनाकर आनंद लेते हैं। नौकरी पेशा सभी व्यक्तियों का अपने पैतृक गांव आना अनिवार्य होता है। इससे परिवार के सदस्य अपनी संस्कृति के साथ-साथ अपने रीति-रिवाजों को भी जानते हैं। पर्व की खासियत यह है कि इसका जश्न ग्रामीण मिलजुल कर पंचायती आंगन में नाच गानों के साथ मनाने का काम करते हैं। सामूहिक गीतों के साथ महिलाएं भी पुरुषों के साथ हारूल, रासो, नाटी ,आदि का लोक नृत्य करने के साथ-साथ महापर्व में अतिथि देवो भव की भावनाओं के साथ-साथ अपनी लोक संस्कृति को बचाने का कार्य किया जा रहा है।