उत्तराखंड

अपनी संस्कृति अपना मंच ने मनाया लोकपर्व घी सक्रांति

देहरादून। अपनी संस्कृति अपना मंच द्वारा लोक पर्व घी संक्रांति जिसे घी त्यार के नाम से भी जाना जाता है मनाया गया। इस मौके पर संस्था के पदाधिकारियों ने कहा कि लोक पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत की अमूल्य धरोहर होते हैं, जिनको पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने का उत्तरदायित्व हम सब पर है।
यह त्यौहार अंकुरित हो चुकी फसल में बालियां लग जाने पर मनाने वाला त्योहार है। इस त्यौहार में घी का विशेष महत्व है ऋतु में बदलाव आने की वजह से फंगल इन्फेक्शन तथा अपच के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए घी का उपयोग आवश्यक होता है, साथ ही बुजुर्गों की यह कहावत भी है कि जो आज के दिन घी का उपयोग नहीं करता है वह अगले जन्म में घोंघा बनता है। संगठन के सभी सदस्यों ने प्राचीन श्री शिव हनुमान मंदिर की पाक शाला में खीर और बेडू रोटी तथा अन्य व्यंजन बनाए, कुछ लोग अपने घर से भी विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर लाए। पंडित जी द्वारा बच्चांे के सिर और पैरों के तलवों पर मंत्रोच्चार कर घी लगाया गया। पंडित श्री श्रीनिवास नौटियाल ने सभी व्यंजनों का सर्वप्रथम भगवान भोलेनाथ को भोग लगाया और सबने उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। अपनी संस्कृति अपना मंच के परिवार के सभी सदस्यों ने साथ में बैठकर भोजन का आनंद लिया तथा मंगल गीत गाए। आपसी प्रेम और परस्पर सौहार्द का माहौल देखते ही बनता था। संस्था के संस्थापक पंडित श्रीनिवास नौटियाल, सचिव पूजा नौटियाल, उपसचिव अर्चना बिष्ट, कोषाध्यक्ष रमा गौड़, प्रबंधक मेनका शुक्ला, पुष्प लता वेश्य, सुधा कौशल, उमा कौशल, कमला उप्रेती, तारा रावत, पुष्पा मेहरा, किरण धवन, रूपक जुयाल, ममता साहू, मृदुला तोमर तथा अन्य ने कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

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