उत्तराखंड

दरोगा, पटवारी भर्ती से लेकर आरबीएस रावत तक फैला था पेपर चोरी का असली रैकेट, धामी सरकार में जाकर पहली बार पारदर्शी हुआ भर्ती सिस्टम

देहरादून। उत्तराखंड में नकल माफिया, पेपर चोर रैकेट कांग्रेस की पहली एनडी तिवारी सरकार में ही अपने पैर फैला चुका था। पेपर चोरी का ये सिलसिला कांग्रेस सरकार में दरोगा भर्ती घोटाला, पटवारी भर्ती घोटाला से लेकर कांग्रेस के उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का आरबीएस रावत को अध्यक्ष बनाने तक फलता फूलता चला गया। इस पेपर चोरी के असली रैकेट के खिलाफ पहली बार धामी सरकार में जाकर प्रहार हुआ। पहली बार भर्ती सिस्टम पारदर्शी हुआ। ऐसे में कांग्रेस के पेपर चोरी के नारे से उसके ही गड़े मुर्दे उखड़ने शुरू हो गए हैं।
कांग्रेस के पेपर चोर का नारा देने से उसकी एक सिरे से परतें उधड़नी शुरू हो गईं हैं। कांग्रेस राज के जिन घोटालों को आज की पीढ़ी भूल चुकी थी, वो फिर सतह पर आ गए हैं। इस राज्य का सबसे पहला और बड़ा भर्ती घोटाला एनडी तिवारी सरकार में हुआ। सबसे पहली दरोगा भर्ती परीक्षा में पारदर्शिता की धज्जियां उड़ाई गईं। रुड़की आईआईटी ने परीक्षा के बाद जो परीक्षा परिणाम जारी करने को पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराया, उसमें पुलिस मुख्यालय में बड़े पैमाने पर बदलाव कर दिया गया। जो छात्र लिखित परीक्षा में टॉपर रहे, उन्हें इंटरव्यू में फेल कर दिया गया। लिखित परीक्षा के नंबरों में जमकर छेड़छाड़ की गई। सूचना अधिकार में जब इस घोटाले की परतें उधड़नी शुरू हुई तो कांग्रेस सरकार का असल पेपर चोर चेहरा सामने आया।
कांग्रेस की तिवारी सरकार में सिर्फ दरोगा भर्ती घोटाला ही नहीं हुआ, बल्कि पटवारी भर्ती घोटाले में तो और भी ज्यादा गड़बड़ियां हुई। जिन लोगों ने परीक्षा का फॉर्म तक नहीं भरा, उन्हें भी पटवारी बना दिया गया।
जिस अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती पर कांग्रेस सवाल उठा रही है, उसका गठन तक कांग्रेस ने किया। जिस आरबीएस रावत को धामी सरकार ने जेल भेजा, उन्हें कांग्रेस ने इस आयोग का अध्यक्ष बनाया। अध्यक्ष रहने के दौरान आयोग की हर भर्ती में न सिर्फ पेपर लीक हुए, बल्कि उससे भी बढ़कर सीधे ही अपने चहेते लोगों को सरकारी नौकरियां बांट दी गई। हाकम सिंह ने इसी रैकेट के साथ मिलकर भर्ती परीक्षा घोटाले का खेल खेला। नौकरियों की खरीद फरोख्त शुरू की। नौजवानों के हितों से खिलवाड़ किया। बाद में इसी हाकम सिंह के ऊपर दर्ज हुए मुकदमों को वापस लेकर उसे और शह दी गई।
भर्ती परीक्षा घोटालों के इस खेल का पटाक्षेप सीएम पद पर पुष्कर सिंह धामी के कमान संभालने के बाद जाकर हुआ। सीएम धामी ने आरबीएस रावत, हाकम सिंह जैसी बड़ी मछली के साथ ही 100 से अधिक नकल माफिया को जेल भेजा। नकल माफिया की संपत्ति को मिट्टी में मिलाने का काम किया। देश का सबसे सख्त नकल कानून बनाया। पारदर्शी भर्ती करवा कर
26 हजार से अधिक युवाओं को नौकरी देने का काम किया। ऐसे में धामी सरकार पर सवाल उठा कर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने खुद को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

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