उत्तराखंड

उत्तरकाशी मस्जिद विवाद में हिंदू संगठनों को महापंचायत की सशर्त अनुमति मिली

देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में महापंचायत करने के लिए देवभूमि विचार मंच प्रशासन से अनुमति मांग रहा था। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया था। अब उस महापंचायत को जिला प्रशासन ने कुछ शर्तों के साथ अनुमति प्रदान कर दी है। 1 दिसंबर को उत्तरकाशी में अब पंचायत होगी। हालांकि प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रखनी होगी। अगर व्यवस्था बिगाड़ी गई तो कार्रवाई के लिए भी आयोजकों को तैयार रहना होगा।
उत्तरकाशी में मस्जिद के खिलाफ प्रस्तावित महापंचायत को प्रशासन ने 16 शर्तों के साथ अनुमति दे दी है। उत्तरकाशी के उप जिला अधिकारी मुकेश रमोला इस बात की पुष्टि की है। उप जिलाधिकारी ने कहा कि महापंचायत को लेकर लगातार परमिशन मांगी जा रही थी। लिहाजा हमने परमिशन तो दी है। लेकिन आयोजकों को यह भी कहा है कि अगर किसी भी तरह की व्यवस्था फैली तो तत्काल प्रभाव से महापंचायत की परमिशन को रद्द भी किया जा सकता है।
आयोजकों को यह ध्यान रखना होगा कि किसी भी तरह की ऐसी कोई भी बयानबाजी मंच या पंचायत स्थल से ना हो, जिससे समाज में तनाव फैले। इसके साथ ही शांति व्यवस्था बनाए रखने, ट्रैफिक नियमों का पालन करने, सड़क इत्यादि जाम न करने और मस्जिद के आसपास भीड़ न इकट्ठा होने की भी शर्त प्रशासन की तरफ से रखी गई है।
इसके साथ ही जिला प्रशासन के द्वारा मस्जिद मोहल्ले के 50 मीटर के दायरे में अभी से धारा 163 लागू कर दी गई है। महापंचायत के दौरान किसी व्यक्ति के हाथ में लाठी, डंडे, तलवार या कोई भी हथियार नहीं होगा। किसी तरह के कार्यक्रम, सांस्कृतिक आयोजन जिससे भीड़ इकट्ठा हो, नहीं हो पाएंगे। महापंचायत में हिंदू संगठनों के अलग-अलग लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। उत्तरकाशी में रविवार को होने वाली महापंचायत को लेकर जगह-जगह पर पुलिस प्रशासन तैनात किया गया है। ताकि किसी भी तरह की कोई भी घटना महापंचायत के दौरान ना हो।

क्या है उत्तरकाशी का मस्जिद विवाद?
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक 55 साल पुरानी मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है। ये विवाद तब बढ़ गया, जब एक समुदाय के धार्मिक संगठन ने मस्जिद को अवैध बताते हुए प्रशासन के खिलाफ जनाक्रोश रैली आयोजित की थी। रैली के दौरान तनाव हो गया था। पुलिस ने 8 नामजद और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। उत्तरकाशी के बाड़ाहाट इलाके में स्थित इस मस्जिद का निर्माण वर्ष 1969 में हुआ था। मस्जिद के लिए 4 नाली और 15 मुठ्ठी भूमि का सौदा एक समुदाय के व्यक्ति ने दूसरे समुदाय के सात लोगों को बेचे जाने के साथ किया गया था। वर्ष 2005 में इस मस्जिद की जमीन का दाखिल-खारिज किया गया, जिससे यह कानूनी विवाद में आ गई। सितंबर 2023 में एक समुदाय के धार्मिक संगठन ने इस मस्जिद को अवैध बताकर जिला प्रशासन से इसके निर्माण को लेकर आरटीआई में जानकारी मांगी थी। उसी के बाद विवाद बढ़ता चला गया।

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