रुद्रप्रयाग। देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थपुरोहितों का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। सोमवार को केदारनाथ जा रहे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कोतीर्थपुरोहितों के विरोध का सामना करना पड़ा, जिस कारण उन्हें बाबा केदार के दर्शन किए बगैर ही वापस लौटना पड़ा। तीर्थपुरोहितों ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। तीर्थपुरोहितों का कहना है कि उनकी एकमात्र मांग देवस्थानम बोर्ड भंग करने की है। ऐसा नहीं होता है तो आर-पार की लड़ाई इसी तरह लड़ी जाएगी। देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ-पुरोहितों व हक-हकूकधारियों ने तीन नवंबर को केदारनाथ कूच करने का ऐलान किया है।
तीर्थ पुरोहित शुरुआत से ही इसका विरोध कर रहे हैं। बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने लंबा आंदोलन भी किया था। अब एक बार फिर तीर्थ पुरोहित मुखर हो गए हैं। उन्होंने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के केदारनाथ पहुंचने पर विरोध किया। उनका कहना है कि त्रिवेंद्र रावत ही देवस्थानम को लाने वाले हैं। केदारनाथ जा रहे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सोमवार को संगम स्थित पुल से आगे नहीं जाने दिया गया। तीर्थ पुरोहित एवं हक-हकूकधारियों ने इस दौरान जमकर नारेबाजी करते हुए उनका विरोध किया। जिसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत बिना दर्शन किए ही लौट गए। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक व कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत भी केदारनाथ धाम पहुंचे थे। उन्हें भी तीर्थ पुरोहितों का विरोध झेलना पड़ा, हालांकि उन्होंने धाम में दर्शन किए। उत्तराखंड सरकार के आश्वासन के बाद भी देवस्थानम बोर्ड व एक्ट वापस नहीं होने पर तीर्थ पुरोहितों ने सोमवार को गंगोत्री और यमुनोत्री में भी बंद रखा। दोनों धामों में भी पूजा सामग्री सहित अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। वहीं इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने नारेबाजी करते हुए रैली भी निकाली। दोनों धामों में नियमित पूजा-पाठ और दर्शन सामान्य दिनों की तरह ही हो रहे हैं। गंगोत्री में भागीरथी घाट पर पुरोहितों ने विरोध स्वरूप पूजा बंद की।